नगरी के लोगो, हाँ भलाँ बस्ती के लोगो।
मेरी तो है जात जुलाहा, जीव का जतन करावा॥
हाँ के दुविधा परे सरकज्याँ ये, दुनिया भरम धरैगी।
कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा॥टेर॥
आणा नाचै, ताणा नाचै, नाचै सूत पुराणा।
बाहर खड़ी तेरी नाचै जुलाही, अन्दर कोई न आणा॥1॥
हस्ती चढ़ कर ताणा तणिया, ऊँट चढ़या निर्वाणा।
घुढ़लै चढ़कर बणवा लाग्या, वीर छावणी छावां॥2॥
उड़द मंग मत खा ये जुलाही, तेरा लड़का होगा काला।
एक दमड़ी का चावल मंगाले, सदा संत मतवाला॥3॥
माता अपनी पुत्री नै खा गई, बेटे ने खा गयो बाप।
कहत कबीर सुणो भाई साधो, रतियन लाग्यो पाप॥4॥
मेरी तो है जात जुलाहा, जीव का जतन करावा॥
हाँ के दुविधा परे सरकज्याँ ये, दुनिया भरम धरैगी।
कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा॥टेर॥
आणा नाचै, ताणा नाचै, नाचै सूत पुराणा।
बाहर खड़ी तेरी नाचै जुलाही, अन्दर कोई न आणा॥1॥
हस्ती चढ़ कर ताणा तणिया, ऊँट चढ़या निर्वाणा।
घुढ़लै चढ़कर बणवा लाग्या, वीर छावणी छावां॥2॥
उड़द मंग मत खा ये जुलाही, तेरा लड़का होगा काला।
एक दमड़ी का चावल मंगाले, सदा संत मतवाला॥3॥
माता अपनी पुत्री नै खा गई, बेटे ने खा गयो बाप।
कहत कबीर सुणो भाई साधो, रतियन लाग्यो पाप॥4॥
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