गुरु ज्ञान ध्यान को झबरक दिवलो, हालो सत् के मारगाँ॥टेर॥
आप सुवारथ सब जग राचै, परमारथ कुण राचै ओ बाबाजी,
परमारथ रा राचणियाँ नर थोड़ा रे बीरा॥1॥
हाथाँ में थारे झबरक दिवलो, आंगनियो कोनी सूझे ओ बाबाजी,
पैड़ी ये दुहेली किस विध चढस्यो रे बीरा॥2॥
समदरिये रा माणसिया थे तालरियाँ कांई रीइया ओ बाबाजी,
समदरिये में महंगा मोती निपजै रे बीरा॥3॥
ओछे जल का मानसिया थारी तुष्णा कबुहूँ न भागै ओ बाबाजी,
पर नार्यों रा मोहेड़ा नर हीणा रे बीरा॥4॥
तँवराँ मे टीकायत सिद्ध श्री रामदेवजी बोल्या ओ बाबाजी,
हाथ लगेड़ो माणसियो मत खोवो रे बीरा॥5॥
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आप सुवारथ सब जग राचै, परमारथ कुण राचै ओ बाबाजी,
परमारथ रा राचणियाँ नर थोड़ा रे बीरा॥1॥
हाथाँ में थारे झबरक दिवलो, आंगनियो कोनी सूझे ओ बाबाजी,
पैड़ी ये दुहेली किस विध चढस्यो रे बीरा॥2॥
समदरिये रा माणसिया थे तालरियाँ कांई रीइया ओ बाबाजी,
समदरिये में महंगा मोती निपजै रे बीरा॥3॥
ओछे जल का मानसिया थारी तुष्णा कबुहूँ न भागै ओ बाबाजी,
पर नार्यों रा मोहेड़ा नर हीणा रे बीरा॥4॥
तँवराँ मे टीकायत सिद्ध श्री रामदेवजी बोल्या ओ बाबाजी,
हाथ लगेड़ो माणसियो मत खोवो रे बीरा॥5॥
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