Saturday 11 February 2017

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti | सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती


सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती 
सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती
कुण सोव कुण जागे है ।
साध हमारे हम साधन के
तन सोवे ब्रह्म जागे है ।।
जल विच कमल कमल विच कलियाँ
भँवर वासना लेता है
पांचू चेला फिरे अकेला
अलख अलख जोगी करता है
भंवर गुफा में तपसी तापै
तपसी तपस्या करता है
अस्त्र,वस्त्र कछु नहीं रखता
नागा निर्भय रहता है ।।
एक अप्सरा आगै ऊबी
दूजी सुरमो सारे है
तीजी सुषमण सेज बिछावे
परण्या नहीं कंवारा है ।।
एक पिलंग पर दो नर सूत्या
कुण सोवै कुण जागै है
च्यारूं पाया दिवला जोया
चोर किसी विध लागै है ।।
परण्या पेली पुत्र जलमिया
मात-पिता मन भाया है
शरण मच्छेन्द्र जती गोरख बोल्या
एक अखंडी नै ध्याया है।।
जीवत जोगी माया भोगी
मरया पछ नर माणी है
खोजो खबर करो घट भीतर
"जोगाराम" की बाणी है ।।
ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष

Song:

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti 

सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती

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