गौरी के सुवन सुजान प्रथम थारो यस गांवा जी
गौरी के सुवन सुजान प्रथम थारो यस गांवा जी ,
म्हारा काटो कष्ट कलेश गणेश हमेश मनावा जी ||
एक दन्त सिर चंद्रमा जी विघ्न हरण गणराज ,
गले जनेउ शेष है जी सुर सेना सिर ताज ||
थारे चरणां सिर नावाँ जी
दुन्दाला दुःख भंजना जी सुन्डाला सुख मूल ,
दोष दूर सिंदूर करे जी विघ्न विडारे शूल ,
ध्यान चित माय लगावां जी ||
मोदक मुद मंगल करे जी पाश विनाशै पाप ,
अभय दान सबने देवो जी चढ़ मूषक पर आप ,
सुमर थाने सुख पांवा जी ||
जातक उभ्या बारणे जी अरज करे दातार ,
दाता टुथ्यो सांवठो जी रिद्ध सिद्ध भरो भंडार ,
"शम्भू"थारी कीरत गांवा जी ||
बोल गजानंद भगवान की जय
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