Tuesday, 14 February 2017

Hojya Hoshiyar Guraji ke Sharane | होज्या होशियार गुरांजी के शरणै


होज्या होशियार गुरांजी के शरणै,
दिल साबत फिर डरना क्या ॥टेर॥ 


करमन खेती धणियाँ सेती, रात दिनां बीच सोवणा क्या ।
 आवेगा हंसला चुग जायेगा मोती, कण बिन मण निपजाओगा क्या ॥1॥

कांशी पीतल सोना हो गया, पता चल्या गुरु पारस का ।
 घर चेतन के पहरा दे ले, जाग – जाग नर सोना क्या ॥2॥

नौ सौ नदियाँ निवासी नाला, खार समुद्र जल डूंगा क्या । 
सुषमण होद भर्या घट भीतर, नाडूल्याँ में न्हाणा क्या ॥3॥

चित चौपड़ का खेल रच्या है, रंग ओलख ल्यो स्यारन का ।
 गुरु गम पासा हाथ लग्या फिर, जीती बाजी हारो क्या ॥4॥

रटले रे बंदा अलखजी री वाणी, हर ने लिख्या सो मिटना क्या । 
शरण मच्छेन्द्र जती गोरक्ष बोल्या, समझ पड़ी फिर डिगना क्या ॥5॥

Song:

Hojya Hoshiyar Guraji ke Sharane
होज्या होशियार गुरांजी के शरणै





Har Bhajn Har Bhaj Heera Parakhi | हर भज हर भज हीरा परखी


हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती । 
अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता, और बारता सब झूठी ॥टेर॥

इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, आँवत ल्याया रंग बूँटी ।
त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥1॥

इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।
पाँचवाँ ने मार पच्चीसाँ ने बसकर, जद जाणा तेरी बुध मोटी ॥2॥

सत सुमरण का सैल बणाले, ढ़ाल बणाले धीरज की ।
काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणा थारी रजपूती ॥3॥

झणमण झणमण बाजा बाजै, झिलमिल झिलमिल वहाँ ज्योति। 
ओंकार के रणोकार में हँसला चुग गया निज मोती ॥4॥

पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती । 
शरण मच्छेन्द्र जति गोरक्ष बोल्या, अलख लख्या सो खरा जती ॥5॥

Song:

Har Bhajn Har Bhaj Heera Parakhi
हर भज हर भज हीरा परखी


Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना


सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए।
 भजन सार है इस दुनियाँ में, कभी बिसरना ना चाहिये॥टेर॥


मन में भेदभाव नहीं रखना, कौन पराया कुण अपना।
 ईश्वर से नाता सच्चा है, और सभी झूठा सपना॥ 
गर्व गुमान कभी ना करना, गर्व रहै ना गले बिना।  
कौन यहाँ पर रहा सदा सें, कौन रहेगा सदा बना॥ 
सभी भूमि गोपाल लाल की, व्यर्थ झगड़ना ना चाहिये॥1॥

दान भोग और नाश तीन गति, धन की ना चोथी कोई। 
जतन करंता पच् मरगा, साथ ले गया ना कोई॥ 
इक लख पूत सवा लाख नाती, जाणै जग में सब कोई। 
रावण के सोने की लंका, साथ ले गया ना कोई॥ 
सुक्ष्म खाना खूब बांटना, भर भर धरना ना चाहिये॥2॥

भोग्यां भोत घटै ना तुष्णा, भोग भोग फिर क्या करना। 
चित में चेतन करै च्यानणो, धन माया का क्या करना॥ 
धन से भय विपदा नहीं भागे, झूठा भरम नहीं धरना। 
धनी रहे चाहे हो निर्धन, आखिर है सबको मरना॥ 
कर संतोष सुखी हो मरीये, पच् पच् मरना ना चाहिये॥3॥

 सुमिरन करे सदा इश्वर का, साधु का सम्मान करे। 
कम हो तो संतोष कर नर, ज्यादा हो तो दान करे॥ 
जब जब मिले भाग से जैसा, संतोषी ईमान करे। 
आड़ा तेड़ा घणा बखेड़ा, जुल्मी बेईमान करे॥ 
निर्भय जीना निर्भय मरना ,'शंभु' डरना ना चाहिये॥4॥


Song:

Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना



Mewadi Rana, Bhajana Se laage Meera mithi | मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी



मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी।
उदयपुर राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी॥टेर॥


थारो तो राम म्हानै बतावो, नहीं तो फकीरी थारी झूठी॥1॥

म्हारो तो राम राणाजी घटघट बोलै, थारै हिये की कियाँ फूटी॥2॥

 सास नणद दोराणी, जिठाणी, जलबल भई अंगीठी॥3॥

थे तो साँवरिया म्हारै सिर का सेवरा, म्हें थारै हाथकी अंगूठी॥4॥

 सँकडी गली मँ म्हानै गिरधर मिलियो, किस बिध फिरुँ मैं अपूठी॥5॥

बाई मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चढ़ गयो रंग मजीठी॥6॥

Song:

Mewadi Rana, Bhajana Se laage Meera mithi
मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी



Ho Ghode Asawar Bharathari | हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या


हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या।
बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या॥टेर॥

घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया। आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया॥ 
बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया। इस फल को तू खाले राजा, अमर होज्या तेरीकाया
राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥1

राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया। राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया॥ 
निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया। चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया॥ प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥2

 उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी। उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी॥ अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी। राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी॥ राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥3


क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई। गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई॥ चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई। हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई॥ उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥4

Song:

Ho Ghode Asawar Bharathari | Bharathari Katha


हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या


Mhare Malik Ke Darbar | म्हारे मालिक के दरबार


म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक
और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥टेर॥


ज्ञान सरोदै सुरत पपैया, माखन खाणा मती ।
जै खाणा तो शायर खाणा, जाँ में निपजै रति रै ॥1॥

पहली तो या गुप्त होवती, अब हो लागी प्रगटी ।
राजा हरिशचंद्र तो सिद्ध कर निकल्या, लारे तारा सती रै ॥2॥

कै योजन में संत बसत है, कै योजन में जती ।
नौ योजन में संत बसत है, दस योजन में जती रै ॥3॥

दत्तात्रेय ने गोरख मिल गया, मिल गया दोनों जती ।
राजा दशरथ का छोटा बालक, गाबै लक्षमण जती रै ॥4॥

Song:

Mhare Malik Ke Darbar | म्हारे मालिक के दरबार



Shunn Ghar Shahar, Shahar Ghar Basti | शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती


शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सैवे कुण जागै है ।
साध हमारे हम साधन कै, तन सोवै ब्रह्म जागै है ॥टेर॥


भंवर गुफा मे तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है।
अस्त्र, वस्त्र कछु नही रखता नाग निर्भय रहता है ॥1॥

एक अप्सरा आगै ऊबी, दूजी सुरमो सारै है ।
तीजी सुषमण सेज बिछावै, परण्या नहीं कँवारा है ॥2॥

एक पिलंग पर दोय नर सुत्या, कुण सौवे कुण जागै है ।
च्यारुँ पाया दिवला जोया, चोर किस विध लागै है ॥3॥

जल बिच कमल, कमल बिच कलिया, भंवर वासना लेता है ।
पांचू चेला फिरै अकेला, ए अलख अलख जोगी करता है ॥4॥

जीवत जोगी माया भोगी, मूवा पत्थर नर माणी रै ।
खोज्या खबर करो घट भीतर, जोगाराम की बाणी रै ॥5॥

परण्या पहली पुत्र जलमिया, मातपिता मन भाया है ।
शरण मच्छेन्दर जति गोरक्ष बोल्या, एक अखण्डी नै ध्याया है ॥6॥

Song:

Shunn Ghar Shahar, Shahar Ghar Basti
शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती




Samajh Man Mayala Re | समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय



समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय। 

बिन धोयाँ दुख ना मिटै रै, बीरा मेरा तिरणा किस बिध होय॥टेर॥


देवी सुमराँ शारदा रै, बीरा मेरा हिरदै उजाला होय। 
गुरुवाँ री गम गैला मिल्या रे, बीरा मेरा आदु अस्तल जोय॥1॥

दाता चिणाई बावड़ी रै, ज्यामें नीर गगजल होय। 
कई कई हरिजन न्हा चल्या रै, कई गया है जमारो खोय॥2॥

रोईड़ी रंग फूटरो रै, जाराँ फूल अजब रंग होय। 
ऊबो मिखमी भोम मे रै, जांकी कलियन विणजै कोई॥3॥

चंदन रो रंग सांवलो रै, जाँका मरम न जाने कोय।  
काट्या कंचन निपजै रै, ज्यामे महक सुगन्धी होय॥4॥

तन का बनाले कापडा रै, सुरता की साबुन होय। 
सुरत शीला पर देया फटकाया रै, सतगुरु देसी धोय॥5॥

लिखमा भिखमी भौम में रै, ज्याँरो गाँव गया गम होय। 
तीजी चौकी लांधजा रै, चौथी में निर्भय होय॥6॥ 

Song:

Samajh Man Mayala Re Beera mera maili chadar dhoy
समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय


Ghat Rakho Atal Surati ne | घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का



घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का ॥टेर॥


सतगुरु धोरे गया संतसंग में, गुरांजी भे दिया हरि रंग में । 
शबद बाण मर्या मेरे तन में, सैल लग्या ज्यूँ स्यार का ॥
मेरा मन चेत्या भक्ति में ॥1॥

जबसे शबद सुण्या सतगरु का, खुल गया खिड़क मेरे काया मंदिर का । 
मात पिता दरस्या नहीं घरका, दूत लेजा जमराज का ।
तेरा कोई न संगी जगती में ॥2॥

नैन नासिका ध्यान संजोले, रमता राम निजर भरजोले । 
बिन बतलाया तेरे घट में बोले, बेरो ले भीतर बाहर का ॥
अब क्यूँ भटके भूली में ॥3॥

अमृतनाथजी रम गया सुन्न में, मुझको दीदार दिखा दिया छत में । 
मद्यो मगन हो जा भजन में, रुप देख निराकार का ।
अब क्या सांसा मुक्ति में ॥4॥

Song:

Ghat Rakho Atal Surati ne Darshan kar nij bhagwan ka
घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का


Saturday, 11 February 2017

Hindo To Ghaladyo Sataguru Baag Mein | हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी


हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी।
हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी।
सतगुरु म्हारा, हिण्डे-हिण्डे सुरता नार ॥टेर॥
काया तो नगरिये मे सतगुरु म्हारा आमली जी।
सतगुरु म्हारा छायी छायी च्यारुँ मेर ॥1॥
अगर-चंदन को सतगुरु म्हारा पालणो जी।
सतगुरु म्हारा रेशम डोर घलाय ॥2॥
पाँच सखी मिल पाणीड़े न निसरी जी।
सतगुरु मेरा पाँचू ही एक उणियार ॥3॥
नाथ गुलाब से सतगुरु म्हारा विनती जी।
सतगुरु मेरा गावै-गावै भानीनाथ ॥4॥
बोल नाथ जी महाराज की जय

Song: 

Hindo To Ghaladyo Sataguru Baag Mein

हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी

Koi Pivo Ram Ras Pyasa | कोई पीवो राम रस प्यासा


कोई पीवो राम रस प्यासा
कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अमी झरत है, उनमुन के घर बासा॥टेर॥


शीश उतार धरै गुरु आगे, करै न तन की आशा।
एसा मँहगा अमी बीकत है, छः ऋतु बारह मासा॥1॥ 

मोल करे सो छीके दूर से, तोलत छूटे बासा।

 जो पीवे सो जुग जुग जीवे, कब हूँ न होय बिनासा॥2॥ 

एंही रस काज भये नृप योगी, छोडया भोग बिलासा।

 सहज सिंहासन बैठे रहता, भस्ती रमाते उदासा॥3॥

गोरखनाथ, भरथरी पिया, सो ही कबीर अम्यासा।
गुरु दादू परताप कछुयक पाया सुन्दर दासा॥4॥
जय श्री नाथ जी की

Song: 

Koi Pivo Ram Ras Pyasa | कोई पीवो राम रस प्यासा

Jis Mala Mein Ram Naam Na | जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की


जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
भजले मनवा शाम सवेरे एक माला हरी नाम की
ये संसार कागज की पुड़िया बूंद पड्या गल जाएगी
तेरी मेरी छोड़ बावले धुन तो लगा हरी नाम की
नैन दिए दर्शन करने को कान दिए सुण ज्ञान रे
जीभ देयी हरी गुण गाने को बोलो सियावर राम की
"पवन" गणिका.गिद्ध.अजामिल तर गये हरी नाम से
ध्रुव तारे प्रलाद उबारे जय हो कृपा निधान की
बोल भक्त और भगवान की जय

Song:

Jis Mala Mein Ram Naam Na जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी


  चादर झीणी राम झीणी 
चादर झीणी राम झीणी, या तो सदा राम रस भीणी॥टेर॥


अष्ट कमल पर चरखो चाले, पाँच तंत की पूणी।
नौ दस मास बणताँ लाग्या, सतगुरु ने बण दीनी॥1॥


जद मेरी चादर बण कर आई, रंग रेजा ने दीनी।
ऐसा रंग रंगा रंगरेजा, लाली लालन कीनी॥2॥

मोह माया को मैल निकाल्या, गहरी निरमल कीनी।
प्रेम प्रीत को रंगलगाकर, सतगुरुवाँ रंग दीनी॥3॥

ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, सुखदेव ने निर्मल कीनी।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यू की ज्यू धर दीनी॥4॥ 
जय श्री नाथ जी की

Song:

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti | सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती


सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती 
सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती
कुण सोव कुण जागे है ।
साध हमारे हम साधन के
तन सोवे ब्रह्म जागे है ।।
जल विच कमल कमल विच कलियाँ
भँवर वासना लेता है
पांचू चेला फिरे अकेला
अलख अलख जोगी करता है
भंवर गुफा में तपसी तापै
तपसी तपस्या करता है
अस्त्र,वस्त्र कछु नहीं रखता
नागा निर्भय रहता है ।।
एक अप्सरा आगै ऊबी
दूजी सुरमो सारे है
तीजी सुषमण सेज बिछावे
परण्या नहीं कंवारा है ।।
एक पिलंग पर दो नर सूत्या
कुण सोवै कुण जागै है
च्यारूं पाया दिवला जोया
चोर किसी विध लागै है ।।
परण्या पेली पुत्र जलमिया
मात-पिता मन भाया है
शरण मच्छेन्द्र जती गोरख बोल्या
एक अखंडी नै ध्याया है।।
जीवत जोगी माया भोगी
मरया पछ नर माणी है
खोजो खबर करो घट भीतर
"जोगाराम" की बाणी है ।।
ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष

Song:

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti 

सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती

Mhari Lagi Ram se Preet | म्हारी लगी राम से प्रीत


 म्हारी लगी राम से प्रीत
राणा जी करमा रो संगाती कोई भी नहीं


एक माता का दोय लाडला जी
ज्याका न्यारा न्यारा भाग
एक क सिर पर क्षत्र फिर
दूजो भिक्षा मांग र खाय (
करमा रो संगाती कोई भी नहीं)


एक गऊ का दोय बाछड़ा
ज्यारा न्यारा न्यारा भाग
एक तो शिव जी को नांदियो बणे
दूजो बिणजारा को बैल (करमा रो संगाती कोई भी नहीं)
एक माटी का दोय घडकला
ज्यारा न्यारा न्यारा भाग
एक तो शिव जी के जल धारा चढ़े
दूजो श्मशाणा म जाय (करमा रो संगाती कोई भी नहीं)
मीरां तो जलमी मेड़त रे
यो तो राणों गढ़ चितोड़
मीरां तो जलमी मेड़ते रे
बाने बेकुंठा का बास
(करमा रो संगाती कोई भी नहीं)

जय श्री नाथ जी की
Song:

Mhari Lagi Ram se Preet | म्हारी लगी राम से प्रीत

Dag Pare Kar Bhai Mere Dil Ka Bharm | दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई


दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई 
दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई


पहली देव गणेश मनावा हिरदे म शारदा माई
निवण करा म्हारे गुरु पीरां न भुल्या न राह बताई


तीन गुणा की नाव बना कर बंदा समदर बिच तिराई
पांच केवटिया बसे काया म सतगुरु पार लगाई
  उठ सवारी बंदा झूठ मत बोले मत कर निंद्रा पराई
क्रूर कपटी संग पल्लो मत छुवे नुगरा स किस्योड़ी भलाई
  तन का कपड़ा मल मल धोले सुरतां की साबण लगाई
ज्ञान शिला पर मार फटकारो जद पकडे नरमाई आई
जवानी बंदा डगमग डौले आख्या अँधेरी तेर छाई
कहत कबीर सुणो भाई साधो गुरु मिल्या गम पाई भाई जी
 जय श्री नाथ जी की
Song:

Dag Pare Kar Bhai Mere Dil Ka Bharm दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई

Hansalo Mitra Koni Tharo E Bholi Kaya | हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया


हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया
हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया
तू जाणे काया में ठग राख्यो
यो हंस्लो आप ठगोरो ए


अमर लोक से आयो म्हारो हंसलो
यो आयो अखन कंवारो
इ हंसले न ब्याह रचायो
यो ही है पिव तिहारो ए भोली काया


काढ र ल्याई कढाय कर ल्याई
फिर फिर ल्याई र उधारो
इ हंसले न कदे न भूखो राख्यो
सूंप दियो घर सारों ए भोली काया जळ गया तेल बुझ गयी बतिया
मन्दरिया म भयो अंधियारो
ले दिवलो म घर घर डोली
मिल्यो कोनी तेल उधारो ए भोली काया दो दिन या चार दिन को पावणों
यो लाद चल्यो बिणजारो
तू कहे हंसा संग चलूँगा
छोड़ चल्यो मझधारो ए भोली काया उड़ गया हंस या टूट गयी टाटी तो
माटी म मिल गयो गारो
कहत कबीर सुणो भाई साधू
निकल गयो बोलण हारो ए भोळी काया
हंस्लो मितर कोनी थारो।।
बोल नाथ जी महाराज की जय

Song:

Hansalo Mitra Koni Tharo E BHoli Kaya हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया


Prabhu Ji More Avagun Chit Na Dharo | प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो


प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो
प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो
समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो


एक लोहा पूजा में राखत एक घर वधिक परो
पारस गुण अवगुण नहीं चित वे
कंचन करत खरो


एक नदिया एक नाल कहावत मेलों ही नीर भरो
जब दोनों मिल एक बरण भई
सुरसरी नाम परो एक माया एक ब्रह्म कहावत सूर-श्याम झगड़ो
अबकी बार मोहे पार उतारो
नहीं प्रण जात टरो बोल सांचे दरबार की जय

Song:

Prabhu Ji More Avagun Chit Na Dharo प्रभु जी मोरे अवगुण चित्त ना धरो

Hans Hans Meetha Jag Bolanae | हँस हँस मिठा जग मे बोलानाए


हँस हँस मिठा जग मे बोलानाए, 
हँस हँस मिठा जग मे बोलानाए,
जग में अमर रह्यो ना कोय
आम फलै नीचा निंव ए
या तो अरण्ड अकाशाँ जाय
बोदी सी बाड बिरान्ठ की ऐ,
बा तो बिन छेडया खिण्ड जाय
नुगराँ माणस की संगत ना करो ए,
ज्याँ से घटे तुम्हारो मान
सुगरा माणस की संगत थे करो ए ,
ज्यासे से बढे तुम्हारो मान
ओछी नाडुल्या जळ ना भरो ए,
के घट में भरियो सुखमण नीर
रानी रूपाँदे री बिनती ए ,
जाँरो सत अमरापुर बास

बोल नाथ जी महाराज की जय

Satguru Saheb Banda Ek hai Ji | सतगुरु साहेब बंदा एक है जी


सतगुरु साहेब बंदा एक है जी
सतगुरु साहेब बंदा एक है जी
भोली साधुडा से किस्योड़ी भिरांत म्हारा बीरा रे
साध रे पियालो रल भेला पिव जी
धोबिड़ा सा धोव गुरु का कपडा रे 
कोई तन मन साबण ल्याय म्हारा बिरा रे
तन रे सीला रे मन साबणा रे
ये तो मैला मैला धुप धुप जाय म्हारा बिरा रे
काया रे नगरिये में आमली रे
ज्या पर कोयालड़ी तो करे र किलोल
कोयलडया रे शबद सुहावना रे
बे तो उड़ उड़ लागे गुरु के पाँव म्हारा बिरा रे
काया रे नागरिये में हाटडी रे
ज्या पर बिणज करे साहूकार म्हारा बिरा रे
कई तो करोड़ी धज हो चल्या रे
कई गया ह जमारो हार म्हारा बिरा रे
सीप रे समन्दरिये में निपजे रे
कोई मोतिड़ा तो निपजे सीपा माय म्हारा बिरा रे
बूंद रे पड़ रे हरी के नाम की रे
कोई लखियो बिरला सा साध म्हारा बिरा रे
सतगुरु शबद उचारिया रे
कोई रटीयो साँस म साँस म्हारा बिरा रे
देव रे डूंगरपुरी बोलिया रे
जांका सत अमरापुर बास म्हारा बिरा रे
कृष्णं वन्दे जगत गुरुं
Song:

Satguru Saheb Banda Ek hai Ji | सतगुरु साहेब बंदा एक है जी

Balihari Balihari Mhare Sataguru ne Balihari | बलिहारी बलिहारी म्हारे सतगुरुवां ने बलिहारी


बलिहारी बलिहारी म्हारे सतगुरुवां ने बलिहारी।
बलिहारी बलिहारी म्हारे सतगुरुवां ने बलिहारी।
बन्धन काट किया जीव मुक्ता, और सब विपत बिड़ारी॥टेर॥
वाणी सुनत परस सुख उपज्या, दुर्मति गयी हमारी।
करम-भरम का संशय मेट्या, दिया कपाट उधारी॥1॥
माया, ब्रह्म भेद समझाया, सोंह लिया विचारी।
पूरण ब्रह्म कहे उर अंदर, काहे से देत विड़ारी॥2॥
मौं पर दया करो मेरा सतगुरु, अबके लिया उबारी।
भव सागर से डूबत तार्या, ऐसा पर उपकारी॥3॥
गुरु दादू के चरण कमल पर, रखू शीश उतारी।
और क्या ले आगे रखू, सुन्दर भेट तिहारी॥4॥

बोल नाथ जी महाराज की जय

Song:

Balihari Balihari Mhare Sataguru ne Balihari बलिहारी बलिहारी म्हारे सतगुरुवां ने बलिहारी 

Mhara Satguru Dinhi Batay | म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय


म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय 
म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय
दलाली हिरा लालन की
लाल पड़ी चोगान म रे रही कीच लिपटाय
नुगरा ठोकर दे चल्या रे सुगरा न लेई है उठाय
लाल लाल तो सभी कव रे सब के पल्ले लाल
गांठ खोल देखी नहीं रे किस विध भयो कंगाल
मखियाँ बैठी शहद पर रे रही पंख लिपटाय
उड़ने का सांसा भया रे लालच बुरी है बलाय
इधर से अंधा जावता रे उधर से अंधा आय
अंधे को अंधा मिला रे मारग कौन बताय
लाली लाली सभी केवे रे लाली लखी न कोय
लाली लखीयो दास कबीरो आवागमन ना होय
जय श्री नाथ जी की
Song: 

Mhara Satguru Dinhi Batay | म्हारा सतगुरु दीन्ही बताय

Man Mast Hua Fir Kya Bole | मन मस्त हुआ फिर क्या बोले


 मन मस्त हुआ फिर क्या बोले

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
सूरत कलाळी भई मतवाली
मदवा पी गयी बिन तोले
हीरो पायो गांठ गठायो
बार बार बांको क्यों खोले
हल्की थी तब चढ़ी तराजू
पूरी भई बांको क्यों तोले
हंसा पायो मानसरोवर
ताल तलैय्या क्यों डौले
तेरा सायब है तुझ माही
बाहर नैना क्यों खोले
कहत कबीर सुनो भाई साधो
साहेब मिल गये तिल तोले

जय श्री नाथ जी की
Song:

Man Mast Hua Fir Kya Bole |  मन मस्त हुआ फिर क्या बोले

Har Bhaj Har Bhaj Heera Parakh Le | हर भज हर भज हीरा परख ले


हर भज हर भज हीरा परख ले,
हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती ।
अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता, और बारता सब झूठी ॥टेर॥
इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, आँवत ल्याया रंग बूँटी ।
त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥1॥
इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।
पाँचवाँ ने मार पच्चीसाँ ने बसकर, जद जाणा तेरी बुध मोटी ॥2॥
सत सुमरण का सैल बणाले, ढाल बणाले धीरज की ।
काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणा थारी रजपूती ॥3॥
झणमण झणमण बाजा बाजै, झिलमिल झिलमिल वहाँ ज्योति ।
ओंकार के रणोकार में हँसला चुग गया निज मोती ॥4॥
पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती ।
शरण मच्छेन्द्र जति गोरक्ष बोल्या, अलख लख्या सो खरा जती ॥5॥

बोल नाथ जी महाराज की जय
Song:

Har Bhaj Har Bhaj Heera Parakh Le हर भज हर भज हीरा परख ले

ॐ शिव ॐ शिव रटता जा | Om Shiv Om Shiv Ratata Jaa


नम: शिवाय भजता जा

ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव , ॐ शिव ॐ शिव रटता जा |
नम: शिवाय नम: शिवाय, नम: शिवाय भजता जा ||
शिव शंकर कैलाशपति है, अंग वभूति रमाते है |
जटाजूट में गंग बिराजै, गंगाधर को रटता जा || नम: शिवाय ||
भांग धतुरा भोग लागत है, गले सर्पो की माला रे |
नंदी की असवारी सोहे, नन्दीश्वर को रटता जा || नम: शिवाय ||
भष्मासुर को भष्म कराया, लीला अपरम्पार तेरी |
मोहिनी रूप धारयो विष्णु ने, लीलाधर को रटता जा || नम: शिवाय ||
गगन मंडल थारी महिमा गावै, गावै नर और नारी रे |
ऐसे दीनदयाल मेरे दाता, भूतनाथ को रटता जा || नम: शिवाय ||
ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव , ॐ शिव ॐ शिव रटता जा | 
जय शंकर की....
जय श्री नाथजी की.....
बोल नाथ जी महाराज की जय हो

Song:

ॐ शिव ॐ शिव रटता जा  नम: शिवाय नम: शिवाय, नम: शिवाय भजता जा 


Om Shiv Om Shiv Ratata Jaa, Namh Shivay Namh Shivay

Kallap Mat Kachhab Kudi E | कळप मत काछब कुड़ी ए


कळप मत काछब कुड़ी ए
 कळप मत काछब कुड़ी ए
रमय्ये री बाता रूडी ए
भक्ति का भेद भारी रे
लख कोई संतां का प्यारा
(१)  काछवो काछ्वी रेता समद म
होया हरी का दास
साधू आवत देख के रे
सती नवाया शीश
पकड़ झोळी म घाल्या रे
मरण की अब के बारी रे
(२)  कहे कछ्वी सुण रे काछवा
भाग सके तो भाग
घाल हांडी में चोडसी रे
तळ लगावे आँच
पड्यो हांडी में सीज रे
रूस गयो कृष्ण मुरारी रे
(३)  कहे काछ्वो सुण ए काछवी
मन में धीरज राख
त्यारण वालो त्यारसी रे
सीतापति रघुनाथ
भगत न त्यारण आवे रे
गोविन्दो दोड्यो आवे रे
(४)  कहे काछ्वो सुण रे सांवरा
भव लगादे पार
आज सुरजिया उदय नहीं होवे
आवे अमीरी मोत
भगत की हांसी होव रे
ओळमो आवे थाने रे
(५)  उतराखंड से चली बादळी
इन्द्र रयो घरराय
तीन तूळया रि झोपड़ी रे
चढ़ी आकाशा जाय
पाणी की बूंदा बरसे रे
धरड धड इन्द्र गाजे रे
(६)  किसनाराम की विनती साधो
सुनियो चित्त लगाय
जुग जुग भगत बचाइया रे
आयो भगत के काज
गावे यो जोगी बाणी रे
गावे यो पध निरबाणी रे
जय श्री नाथ जी की
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Kallap Mat Kachhab Kudi E | कळप मत काछब कुड़ी ए

Dayo Vardan Mujhe Bhakti Ka | दयो वरदान मुझे भक्ती का जागो शंकर बम लहरी

दयो वरदान मुझे भक्ती का जागो शंकर बम लहरी ।
दयो वरदान मुझे भक्ती का जागो शंकर बम लहरी ।
अन्न धन का भण्डार खोल दयो सेवा करा मालिक थारी
अंग भभूती ललाट चंद्रमा मुण्डीयन की माला पहरी
बासुकी नाग गले में टूले शीश जटा गंगा बह री
गांजा सुल्फा भाँग धतूरा नशा करे शंकर जहरी
अमल तमाखू भाँग छुन्तरा प्याय रही गौरां प्यारी
भक्ती से वरदान ले लियो तपस्या जाय करी गहरी
भस्मी कड़ो दियो दाने न शिव के गेल हुयो बैरी
आगे शंकर लेर दानो देण लग्या खण्ड में फेरी
गिरिजा रूप धरयो विष्णू न दाने की करदी ढेरी
दस शीश रावण के बकश्या बीस भूजा हस्ती गहरी
विजये का वरदान पायके राम परणी सीता हरी
काशी चेला शिव संकर का पार करो इनकी फेरी
पलक उघाड़ो अन्तर यामी सुमरण का पासा गेरी
झिलल झिलल वालो कूम्हलावे आवन की मत कर देरी
रामजी लाल बिड्द बखाणे सुण भोला करुणा मेरी


जय शंकर शम्भू
जय श्री नाथ जी की
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Dayo Vardan Mujhe Bhakti Ka Jago Shankar Bam Lahariदयो वरदान मुझे भक्ती का जागो शंकर बम लहरी