Sunday 21 October 2018

Karo Bhajan Mat Daro Kisi Se | करो भजन मत डरो किसी से

करो भजन मत डरो किसी से, ईश्वर के घर होगा मान


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करो भजन मत डरो किसी से, ईश्वर के घर होगा मान
इसी भजन से, राम भजन से हिरदै मँ उपजैगा ज्ञान॥टेर॥

भजन कियो प्रह्लाद भक्त नै, बार बार कारज सार्यो।
हिरणाकुश नै, हा असुर नै, राम नाम लाग्या खारा॥
हिरणाकुश यूँ कही पुत्र सँ बचन नहीं मान्या मेरा।
तोय भी मारता, बता सच, राम नाम है कहाँ तेरा॥1॥

शेर
राम तो में, राम मो में, राम ही हाजर खड्या।
पिता तुझको दीखै नहीं, तेरी फरक बुद्धि में पड्या॥
कष्ट देख्यो भक्त में तब फाड़ खम्भा निसरिया।
रुप थो विकराल सिंह को, असुर ऊपर नख धर्या॥
सहाय करी प्रह्लाद भक्त की, हिरणाकुश का लिया प्राण।

भजन कियो ध्रुव बालापन में, बन में बैठयो ध्यान लगाय।
अन्न जल त्याग्या, त्याग दिया रे पान पुष्प फल कछु यन खाय।
कठिन तपस्या देख ध्रुव की, इन्द्र मन में गयो घबराय।
परियां भेजी, भेज देयी आयो ध्रुव को सत्य डिगाय॥2॥

शेर
हुक्म पाकर इन्द्र को बा परी ध्रुव पे आ गई।
फैल फैल्या भोत सा, बा तुरन्त मुर्छा खा गई।
माता तेरी हूँ सही उठ बोल मुख से यूं कही।
ध्रुव ध्यान से चूक्यो नहीं, झक मारती पाछी गई।
उसी वक्त प्रभु आकर ध्रुव को, बैकुंठन का दिया वरदान।

भजन कियो गजराज जिन्हों की, डूबत महिमा कहूँ सारी।
अर्ध रैन की टेर सुन, जाग उठे बनवारी॥
लक्ष्मी बोली हे महाराजा, रैन बड़ी है अन्धियारी।
ईश्वर कहता मेरे भक्त पर, भीर पड़ी है अति भारी॥3॥

शेर
गरुड़ पे असवार हो के, पवन वेग पधारीया।
गरुड़ हार्यो, तब बिसार्यो नाद पैदल धाइया॥
अगन कर प्रभु चक्र से, तिनहू को काट गिराइया।
ग्राह मारन, गज उबारन, नाथ भक्त बचाइया॥
उसी वक्त वैकुण्ठ पठा दिये, गज और ग्राह की भक्ति पिछान।

भजन कियो द्रोपदी जिन्होंने दुष्ट दुःशासन आ घेरी।
बा करुणा कीनी बचावो, आज नाथ लज्जा मेरी।
रटूँ आपको नाम प्रेम से, हूँ चरणन की चित्त चेरी।
मोहे दासी जान के पधारो, नाथ करो मतना देरी॥4॥

शेर
नगन होती द्रोपदी बा भजन से छिन में तरी।
चीर को नहीं अन्त आयो, दुष्ट हार्यो उस घड़ी
भजन ही है सार बन्दे, धार मन में तू हरी।
भजन ही के काज देखो, लाज द्रुपदी की रही
श्री लाल गोरीदत्त गाता, भजन किए से हो कल्याण॥


Song:

Karo Bhajan Mat Daro Kisi Se

करो भजन मत डरो किसी से

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