Sunday, 11 June 2017

हो घोड़े असवार भरथरी | Ho Ghod Asavar Bharatari

हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या॥टेर॥

 घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया। आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया॥ 
बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया। इस फल को तू खाले राजा, अमर होज्या तेरी काया॥ 
राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥1॥ 

राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया। राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया॥ 
निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया। चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया॥ 
प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥2॥

उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी। उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी॥ 
अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी। राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी॥ 
राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥3॥

 क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई। गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई॥ 
चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई। हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई॥ 
उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥4॥

करमाँ रो संगाती राणा कोई नहीं | Karma Ro Sangati Rana Koi Nahi

करमाँ रो संगाती राणा कोई नहीं-लाग्यो लाग्यो राम भजन से हेत ॥टेर॥ 

एक माँटी रा दोय घड़कल्या, जाँरो न्यारो न्यारो भाग। एक सदाशिव कै जल चढ़ै, दूजो शमशाणा मँ जाय॥1॥

 एक गऊ का दोय बाछड़ा, जाँरो न्यारो न्यारो भाग। एक सदाशिव कै नाँदियो, दूजो बिणजारै रो बैल॥2॥

 एक मायड़ रै दोय डीकरा, जाँरो न्यारो न्यारो भाग। एक राजेश्वर राजवी, दूजो साधुड़ाँ रै लार॥3॥ 

राठौड़ाँ रै मीरा बाई जलमिया, बानै बैकुण्ठाँ रा बास॥4॥

साधु लडे रे शबद के ओटै | Sadhu Lade Shabad Ke Aute

साधु लडे रे शबद के ओटै, तन पर चोट कोनी आयी मेरा भाई रे, साधा करी है लड़ाई....ओजी म्हारा गुरु ओजी...॥टेर॥ 

ओजी गुरुजी, पाँच पच्चीस चल्या पाखारिया आतम करी है चढ़ाई । आतम राज करे काया मे, ऐसी ऐसी अदल जमाई ॥1॥

 ओजी गुरुजी, सात शबद का मँड्या है मोरचा, गढ़ पर नाल झुकाई ।ग्यान का गोला लग्या घट भीतर, भरमाँ की बुरज उड़ाई ॥2॥

 ओजी गुरुजी, ज्ञान का तेगा लिया है हाथ मे, करमा की कतल बनाई ।कतल कराइ भरमगढ़ भेल्या, फिर रही अलख दुहाई ॥3॥

 ओजी गुरुजी, नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, लाला लगन लखाई । भानी नाथ शरण सतगुरु की, खरी नौकरी पाई ॥4॥

समझ मन माँयला रै | Samajh Man Mayala Re

समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय। बिन धोयाँ दुख ना मिटै रै, बीरा मेरा तिरणा किस बिध होय॥टेर॥



देवी सुमराँ शारदा रै, बीरा मेरा हिरदै उजाला होय। गुरुवाँ री गम गैला मिल्या रे, बीरा मेरा आदु अस्तल जोय॥1॥



दाता चिणाई बावड़ी रै, ज्यामें नीर गगजल होय। कई कई हरिजन न्हा चल्या रै, कई गया है जमारो खोय॥2॥



रोईड़ी रंग फूटरो रै, जाराँ फूल अजब रंग होय। ऊबो मिखमी भोम मे रै, जांकी कलियन विणजै कोई॥3॥



चंदन रो रंग सांवलो रै, जाँका मरम न जाने कोय।  काट्या कंचन निपजै रै, ज्यामे महक सुगन्धी होय॥4॥



तन का बनाले कापडा रै, सुरता की साबुन होय। सुरत शीला पर देया फटकाया रै, सतगुरु देसी धोय॥5॥



लिखमा भिखमी भौम में रै, ज्याँरो गाँव गया गम होय। तीजी चौकी लांधजा रै, चौथी में निर्भय होय॥6॥

सतगुरु पुरा म्हाने मिल्या है सुमरतां | Satguru Pura Mhane Milya Hai Sumarta


सतगुरु पुरा म्हाने मिल्या है सुमरतां, पियाजी री छतरी बताओ जी॥टेर॥


कहाँ सेती तुम चलकर आया रे, कुण थाने रस्ता बताया जी, कहाँ तेरा स्थान कहीजै रे, सो मोहे दरसाओ जी॥1॥


नाम नगर से चलकर आया रे, सतगुरु रस्ता बताया, भवसागरिये मे तीरना उपर, पकड़ भुजा सतगुरु ल्याया॥2॥

चढ़ छतरी पर मगन भया है रे, भँवर कुसाली पे आया, सात सखी रल मंगल गावै, जमड़ा देखत रोया॥3॥ 

नवलनाथ जोगी पुरा म्हाने मिलिया, रब का रस्ता बताया, भणत कमाल नवल थारे शरणे, बैठ तन्दूरे पे गाया॥4॥

कोई मेरा क्या करैगा रे | Koi Mera Kya Krega Re


नगरी के लोगो, हाँ भलाँ बस्ती के लोगो।मेरी तो है जात जुलाहा, जीव का जतन करावा॥

हाँ के दुविधा परे सरकज्याँ ये, दुनिया भरम धरैगी।कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा॥टेर॥




आणा नाचै, ताणा नाचै, नाचै सूत पुराणा। बाहर खड़ी तेरी नाचै जुलाही, अन्दर कोई न आणा॥1॥




हस्ती चढ़ कर ताणा तणिया, ऊँट चढ़या निर्वाणा। घुढ़लै चढ़कर बणवा लाग्या, वीर छावणी छावां॥2॥




उड़द मंग मत खा ये जुलाही, तेरा लड़का होगा काला। एक दमड़ी का चावल मंगाले, सदा संत मतवाला॥3॥




माता अपनी पुत्री नै खा गई, बेटे ने खा गयो बाप। कहत कबीर सुणो भाई साधो, रतियन लाग्यो पाप॥4॥

Bungala Dekhi Teri Ajab Bahar | बुंगला देखी थारी अजब बहार


बुंगला देखी थारी अजब बहार, जां में निराकार दीदार ॥टेक॥

काया बुंगला मँ पातर नाचै, देख रहयो संसार ।
किताक पगड़ी ले चल्या, कई गया जमारो हार ॥1॥

काया बुंगला में बीणजी बिणजै, बिणजै जिनसे अपार ।
हरिजन हो सो हीरा बिणजै, पात्थर या संसार ॥2॥

काया बंगला में दौड़ा दौड़ै, दौड़ रहया दिनरात ।
पांच पच्चीस मिल्या पाखरिया, लूट लिया बाजार ॥3॥

काया बुंगला में तपसी तापै, अधर सिंहासन ढाल ।
हाड़ मांस से न्यारो खेलै, खेलै खेल अपार ॥4॥

काया बुंगला में चोपड़ मांडी, खेलै खेलण हार ।
अबकै बाजी मंडी चौवठै, जीत चलो चाहे हार ॥5॥

नाथ गुलाम मिल्या गुरु पूरा, जद पाया दीदार ।
भानी नाथ शरण सतगुरु कै, हर भज उतरो पार ॥6॥

Song:

बुंगला देखी थारी अजब बहार l Bungala Dekhi Teri Ajab Bahar

बोलै नारी सुणो पियाजी l Bol Nari Suno Piyaji

बोलै नारी सुणो पियाजी

बोलै नारी सुणो पियाजी, मानो म्हारी बात द्वारका थे जाओ। 
थे जावो पिव, थे जावो, थे जावो, पिव थे जावो॥टेर॥

माल उधारो मिलै नहीं पिव, मुश्किल दाणै दाणै की। 
दोय वक्त मँ एक वक्त थारै बिद लागै है खाणै की॥
मीठी निकलै भूख पिया, थारा दुर्बल हो गया गात-द्वारका थे जाओ॥1॥

आन गरीबी आ घेरी, बरतण ना फूटी कौड़ी। 
तन का वस्त्र फाट गया पिव, फाटेड़ी चादर ओडी॥
सियां मरता फिरो, रात, दिन दे काखां मँ हाथ-द्वारका थे जाओ॥2।

जाकर भेंट करो प्रभु सँ पिव, मन मँ काँई आँट करो। 
अपने दिल की बात प्रभु सँ कहता काँई आँट करो।
सारी बातां सामर्थ म्हारा देवर है बृजनाथ-द्वारका थे जाओ॥3॥

मोहन कहे मत भूलो प्रभु नै याद करो च्यार घड़ी। 
लख चौरासी फिर आई, या चौपड़ गन्दैस्यार पडी॥

मोहन कहे या रीत प्रभु की दे दुर्बल नै साथ-द्वारका थे जाओ॥4॥

Song:

बोलै नारी सुणो पियाजी l Bol Nari Suno Piyaji



Bholi Sadhuda se Kisodi Bhirant || भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत

भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत

भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत म्हार बीरा रै साध रै पियालो रल भेला पीवजी॥टेर॥

सतगुरु साहिब बंदा एक है जीधोबीड़ा सा धोवै गुरु का कपड़ा रै, 
कोई तन मन साबुन ल्याय।
तन रै सिला मन साबणा रै, कोई मैला मैला धुप धुप ज्याय॥1॥

काया रे नगरियै में आमली रै, जाँ पर कोयलड़ी तो करै रे किलोल।
कोयलड्याँ रा शबद सुहावना रै, बै तो उड़ उड़ लागै गुराँ के पांव॥2॥

काया रे नगरिये में हाटड़ी रै,जाँ पर विणज करै है साहुकार। 
कई रे करोड़ी धज हो चल्या रै, कई गय है जमारो हार॥3॥

सीप रे समन्दरिये मे निपजै रै, कोई मोतीड़ा तो निपजै सीपां माँय।
 बून्द रे पड़ै रे हर के नाम की रै, कोई लखिया बिरला सा साध॥4॥

सतगुरु शबद उच्चारिया रै, कोई रटिया सांस म सांस।
 देव रे डूंगरपुरी बोलिया रै, ज्यारो सत अमरापुर बास॥5॥ 
Song:

भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत || Bholi Sadhuda se Kisodi Bhirant


For Youtube Videos Click Here

Koi Piyo Ram Ras Pyasa | कोई पीवो राम रस प्यासा

कोई पीवो राम रस प्यासा


कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अली झरत है, उनमुन के घर बासा॥टेर॥

शीश उतार धरै गुरु आगे, करै न तन की आशा।
एसा मँहगा अमी बीकर है, छः ऋतु बारह मासा॥1॥

मोल करे सो छीके दूर से, तोलत छूटे बासा।
जो पीवे सो जुग जुग जीवे, कब हूँ न होय बिनासा॥2॥

एंही रस काज भये नृप योगी, छोडया भोग बिलासा।
सहज सिंहासन बैठे रहता, भस्ती रमाते उदासा॥3॥

गोरखनाथ, भरथरी पिया, सो ही कबीर अम्यासा।

गुरु दादू परताप कछुयक पाया सुन्दर दासा॥4॥

Song:
कोई पीवो राम रस प्यासा l Koi Piyo Ram Ras Pyasa

Bhajan Bina Koi na Jaage Re | भजन बिना कोई न जागै रे


भजन बिना कोई न जागै रे, लगन बिना कोई न जागै रै।
तेरा जनम जनम का पाप करेड़ा, रंग किस बिध लागे रै॥टेर॥



संता की संगत करी कोनी भँवरा, भरम कैयाँ भागै रै।

राम नाम की सार कोनी जाणै, बाताँ मे आगै रै ॥1॥



या संसार काल वाली गीन्डी,टोरा लागे रै।

गुरु गम चोट सही कोनी जावै, पगाँ ने लागे रै॥2॥



सत सुमिरण का सैल बणाले, संता सागे रै।

नार सुषमणा राड़ लडै जद, जमड़ा भागै रै॥3॥



नाथ गुलाब सत संगत करले, संता सागे रै।

भानीनाथ अरज कर गावै, सतगुराँजी के आगै रै ॥4॥

Song:
Bhajan Bina Koi na Jaage Re | भजन बिना कोई न जागै रे 

Tuesday, 14 February 2017

Hojya Hoshiyar Guraji ke Sharane | होज्या होशियार गुरांजी के शरणै


होज्या होशियार गुरांजी के शरणै,
दिल साबत फिर डरना क्या ॥टेर॥ 


करमन खेती धणियाँ सेती, रात दिनां बीच सोवणा क्या ।
 आवेगा हंसला चुग जायेगा मोती, कण बिन मण निपजाओगा क्या ॥1॥

कांशी पीतल सोना हो गया, पता चल्या गुरु पारस का ।
 घर चेतन के पहरा दे ले, जाग – जाग नर सोना क्या ॥2॥

नौ सौ नदियाँ निवासी नाला, खार समुद्र जल डूंगा क्या । 
सुषमण होद भर्या घट भीतर, नाडूल्याँ में न्हाणा क्या ॥3॥

चित चौपड़ का खेल रच्या है, रंग ओलख ल्यो स्यारन का ।
 गुरु गम पासा हाथ लग्या फिर, जीती बाजी हारो क्या ॥4॥

रटले रे बंदा अलखजी री वाणी, हर ने लिख्या सो मिटना क्या । 
शरण मच्छेन्द्र जती गोरक्ष बोल्या, समझ पड़ी फिर डिगना क्या ॥5॥

Song:

Hojya Hoshiyar Guraji ke Sharane
होज्या होशियार गुरांजी के शरणै





Har Bhajn Har Bhaj Heera Parakhi | हर भज हर भज हीरा परखी


हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती । 
अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता, और बारता सब झूठी ॥टेर॥

इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, आँवत ल्याया रंग बूँटी ।
त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥1॥

इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।
पाँचवाँ ने मार पच्चीसाँ ने बसकर, जद जाणा तेरी बुध मोटी ॥2॥

सत सुमरण का सैल बणाले, ढ़ाल बणाले धीरज की ।
काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणा थारी रजपूती ॥3॥

झणमण झणमण बाजा बाजै, झिलमिल झिलमिल वहाँ ज्योति। 
ओंकार के रणोकार में हँसला चुग गया निज मोती ॥4॥

पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती । 
शरण मच्छेन्द्र जति गोरक्ष बोल्या, अलख लख्या सो खरा जती ॥5॥

Song:

Har Bhajn Har Bhaj Heera Parakhi
हर भज हर भज हीरा परखी


Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना


सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए।
 भजन सार है इस दुनियाँ में, कभी बिसरना ना चाहिये॥टेर॥


मन में भेदभाव नहीं रखना, कौन पराया कुण अपना।
 ईश्वर से नाता सच्चा है, और सभी झूठा सपना॥ 
गर्व गुमान कभी ना करना, गर्व रहै ना गले बिना।  
कौन यहाँ पर रहा सदा सें, कौन रहेगा सदा बना॥ 
सभी भूमि गोपाल लाल की, व्यर्थ झगड़ना ना चाहिये॥1॥

दान भोग और नाश तीन गति, धन की ना चोथी कोई। 
जतन करंता पच् मरगा, साथ ले गया ना कोई॥ 
इक लख पूत सवा लाख नाती, जाणै जग में सब कोई। 
रावण के सोने की लंका, साथ ले गया ना कोई॥ 
सुक्ष्म खाना खूब बांटना, भर भर धरना ना चाहिये॥2॥

भोग्यां भोत घटै ना तुष्णा, भोग भोग फिर क्या करना। 
चित में चेतन करै च्यानणो, धन माया का क्या करना॥ 
धन से भय विपदा नहीं भागे, झूठा भरम नहीं धरना। 
धनी रहे चाहे हो निर्धन, आखिर है सबको मरना॥ 
कर संतोष सुखी हो मरीये, पच् पच् मरना ना चाहिये॥3॥

 सुमिरन करे सदा इश्वर का, साधु का सम्मान करे। 
कम हो तो संतोष कर नर, ज्यादा हो तो दान करे॥ 
जब जब मिले भाग से जैसा, संतोषी ईमान करे। 
आड़ा तेड़ा घणा बखेड़ा, जुल्मी बेईमान करे॥ 
निर्भय जीना निर्भय मरना ,'शंभु' डरना ना चाहिये॥4॥


Song:

Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना



Mewadi Rana, Bhajana Se laage Meera mithi | मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी



मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी।
उदयपुर राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी॥टेर॥


थारो तो राम म्हानै बतावो, नहीं तो फकीरी थारी झूठी॥1॥

म्हारो तो राम राणाजी घटघट बोलै, थारै हिये की कियाँ फूटी॥2॥

 सास नणद दोराणी, जिठाणी, जलबल भई अंगीठी॥3॥

थे तो साँवरिया म्हारै सिर का सेवरा, म्हें थारै हाथकी अंगूठी॥4॥

 सँकडी गली मँ म्हानै गिरधर मिलियो, किस बिध फिरुँ मैं अपूठी॥5॥

बाई मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चढ़ गयो रंग मजीठी॥6॥

Song:

Mewadi Rana, Bhajana Se laage Meera mithi
मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी



Ho Ghode Asawar Bharathari | हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या


हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या।
बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या॥टेर॥

घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया। आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया॥ 
बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया। इस फल को तू खाले राजा, अमर होज्या तेरीकाया
राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥1

राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया। राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया॥ 
निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया। चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया॥ प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥2

 उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी। उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी॥ अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी। राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी॥ राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥3


क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई। गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई॥ चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई। हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई॥ उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या। बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥4

Song:

Ho Ghode Asawar Bharathari | Bharathari Katha


हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या


Mhare Malik Ke Darbar | म्हारे मालिक के दरबार


म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक
और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥टेर॥


ज्ञान सरोदै सुरत पपैया, माखन खाणा मती ।
जै खाणा तो शायर खाणा, जाँ में निपजै रति रै ॥1॥

पहली तो या गुप्त होवती, अब हो लागी प्रगटी ।
राजा हरिशचंद्र तो सिद्ध कर निकल्या, लारे तारा सती रै ॥2॥

कै योजन में संत बसत है, कै योजन में जती ।
नौ योजन में संत बसत है, दस योजन में जती रै ॥3॥

दत्तात्रेय ने गोरख मिल गया, मिल गया दोनों जती ।
राजा दशरथ का छोटा बालक, गाबै लक्षमण जती रै ॥4॥

Song:

Mhare Malik Ke Darbar | म्हारे मालिक के दरबार



Shunn Ghar Shahar, Shahar Ghar Basti | शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती


शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सैवे कुण जागै है ।
साध हमारे हम साधन कै, तन सोवै ब्रह्म जागै है ॥टेर॥


भंवर गुफा मे तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है।
अस्त्र, वस्त्र कछु नही रखता नाग निर्भय रहता है ॥1॥

एक अप्सरा आगै ऊबी, दूजी सुरमो सारै है ।
तीजी सुषमण सेज बिछावै, परण्या नहीं कँवारा है ॥2॥

एक पिलंग पर दोय नर सुत्या, कुण सौवे कुण जागै है ।
च्यारुँ पाया दिवला जोया, चोर किस विध लागै है ॥3॥

जल बिच कमल, कमल बिच कलिया, भंवर वासना लेता है ।
पांचू चेला फिरै अकेला, ए अलख अलख जोगी करता है ॥4॥

जीवत जोगी माया भोगी, मूवा पत्थर नर माणी रै ।
खोज्या खबर करो घट भीतर, जोगाराम की बाणी रै ॥5॥

परण्या पहली पुत्र जलमिया, मातपिता मन भाया है ।
शरण मच्छेन्दर जति गोरक्ष बोल्या, एक अखण्डी नै ध्याया है ॥6॥

Song:

Shunn Ghar Shahar, Shahar Ghar Basti
शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती




Samajh Man Mayala Re | समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय



समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय। 

बिन धोयाँ दुख ना मिटै रै, बीरा मेरा तिरणा किस बिध होय॥टेर॥


देवी सुमराँ शारदा रै, बीरा मेरा हिरदै उजाला होय। 
गुरुवाँ री गम गैला मिल्या रे, बीरा मेरा आदु अस्तल जोय॥1॥

दाता चिणाई बावड़ी रै, ज्यामें नीर गगजल होय। 
कई कई हरिजन न्हा चल्या रै, कई गया है जमारो खोय॥2॥

रोईड़ी रंग फूटरो रै, जाराँ फूल अजब रंग होय। 
ऊबो मिखमी भोम मे रै, जांकी कलियन विणजै कोई॥3॥

चंदन रो रंग सांवलो रै, जाँका मरम न जाने कोय।  
काट्या कंचन निपजै रै, ज्यामे महक सुगन्धी होय॥4॥

तन का बनाले कापडा रै, सुरता की साबुन होय। 
सुरत शीला पर देया फटकाया रै, सतगुरु देसी धोय॥5॥

लिखमा भिखमी भौम में रै, ज्याँरो गाँव गया गम होय। 
तीजी चौकी लांधजा रै, चौथी में निर्भय होय॥6॥ 

Song:

Samajh Man Mayala Re Beera mera maili chadar dhoy
समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय


Ghat Rakho Atal Surati ne | घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का



घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का ॥टेर॥


सतगुरु धोरे गया संतसंग में, गुरांजी भे दिया हरि रंग में । 
शबद बाण मर्या मेरे तन में, सैल लग्या ज्यूँ स्यार का ॥
मेरा मन चेत्या भक्ति में ॥1॥

जबसे शबद सुण्या सतगरु का, खुल गया खिड़क मेरे काया मंदिर का । 
मात पिता दरस्या नहीं घरका, दूत लेजा जमराज का ।
तेरा कोई न संगी जगती में ॥2॥

नैन नासिका ध्यान संजोले, रमता राम निजर भरजोले । 
बिन बतलाया तेरे घट में बोले, बेरो ले भीतर बाहर का ॥
अब क्यूँ भटके भूली में ॥3॥

अमृतनाथजी रम गया सुन्न में, मुझको दीदार दिखा दिया छत में । 
मद्यो मगन हो जा भजन में, रुप देख निराकार का ।
अब क्या सांसा मुक्ति में ॥4॥

Song:

Ghat Rakho Atal Surati ne Darshan kar nij bhagwan ka
घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का


Saturday, 11 February 2017

Hindo To Ghaladyo Sataguru Baag Mein | हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी


हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी।
हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी।
सतगुरु म्हारा, हिण्डे-हिण्डे सुरता नार ॥टेर॥
काया तो नगरिये मे सतगुरु म्हारा आमली जी।
सतगुरु म्हारा छायी छायी च्यारुँ मेर ॥1॥
अगर-चंदन को सतगुरु म्हारा पालणो जी।
सतगुरु म्हारा रेशम डोर घलाय ॥2॥
पाँच सखी मिल पाणीड़े न निसरी जी।
सतगुरु मेरा पाँचू ही एक उणियार ॥3॥
नाथ गुलाब से सतगुरु म्हारा विनती जी।
सतगुरु मेरा गावै-गावै भानीनाथ ॥4॥
बोल नाथ जी महाराज की जय

Song: 

Hindo To Ghaladyo Sataguru Baag Mein

हिण्डो तो घलादे सतगुरु म्हारा बाग मे जी

Koi Pivo Ram Ras Pyasa | कोई पीवो राम रस प्यासा


कोई पीवो राम रस प्यासा
कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा।
गगन मण्डल में अमी झरत है, उनमुन के घर बासा॥टेर॥


शीश उतार धरै गुरु आगे, करै न तन की आशा।
एसा मँहगा अमी बीकत है, छः ऋतु बारह मासा॥1॥ 

मोल करे सो छीके दूर से, तोलत छूटे बासा।

 जो पीवे सो जुग जुग जीवे, कब हूँ न होय बिनासा॥2॥ 

एंही रस काज भये नृप योगी, छोडया भोग बिलासा।

 सहज सिंहासन बैठे रहता, भस्ती रमाते उदासा॥3॥

गोरखनाथ, भरथरी पिया, सो ही कबीर अम्यासा।
गुरु दादू परताप कछुयक पाया सुन्दर दासा॥4॥
जय श्री नाथ जी की

Song: 

Koi Pivo Ram Ras Pyasa | कोई पीवो राम रस प्यासा

Jis Mala Mein Ram Naam Na | जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की


जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की
भजले मनवा शाम सवेरे एक माला हरी नाम की
ये संसार कागज की पुड़िया बूंद पड्या गल जाएगी
तेरी मेरी छोड़ बावले धुन तो लगा हरी नाम की
नैन दिए दर्शन करने को कान दिए सुण ज्ञान रे
जीभ देयी हरी गुण गाने को बोलो सियावर राम की
"पवन" गणिका.गिद्ध.अजामिल तर गये हरी नाम से
ध्रुव तारे प्रलाद उबारे जय हो कृपा निधान की
बोल भक्त और भगवान की जय

Song:

Jis Mala Mein Ram Naam Na जिस माला में राम नाम ना वो माला किस काम की

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी


  चादर झीणी राम झीणी 
चादर झीणी राम झीणी, या तो सदा राम रस भीणी॥टेर॥


अष्ट कमल पर चरखो चाले, पाँच तंत की पूणी।
नौ दस मास बणताँ लाग्या, सतगुरु ने बण दीनी॥1॥


जद मेरी चादर बण कर आई, रंग रेजा ने दीनी।
ऐसा रंग रंगा रंगरेजा, लाली लालन कीनी॥2॥

मोह माया को मैल निकाल्या, गहरी निरमल कीनी।
प्रेम प्रीत को रंगलगाकर, सतगुरुवाँ रंग दीनी॥3॥

ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, सुखदेव ने निर्मल कीनी।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यू की ज्यू धर दीनी॥4॥ 
जय श्री नाथ जी की

Song:

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti | सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती


सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती 
सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती
कुण सोव कुण जागे है ।
साध हमारे हम साधन के
तन सोवे ब्रह्म जागे है ।।
जल विच कमल कमल विच कलियाँ
भँवर वासना लेता है
पांचू चेला फिरे अकेला
अलख अलख जोगी करता है
भंवर गुफा में तपसी तापै
तपसी तपस्या करता है
अस्त्र,वस्त्र कछु नहीं रखता
नागा निर्भय रहता है ।।
एक अप्सरा आगै ऊबी
दूजी सुरमो सारे है
तीजी सुषमण सेज बिछावे
परण्या नहीं कंवारा है ।।
एक पिलंग पर दो नर सूत्या
कुण सोवै कुण जागै है
च्यारूं पाया दिवला जोया
चोर किसी विध लागै है ।।
परण्या पेली पुत्र जलमिया
मात-पिता मन भाया है
शरण मच्छेन्द्र जती गोरख बोल्या
एक अखंडी नै ध्याया है।।
जीवत जोगी माया भोगी
मरया पछ नर माणी है
खोजो खबर करो घट भीतर
"जोगाराम" की बाणी है ।।
ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष ॐ गोरक्ष

Song:

Sunn Ghar Shahar Shahar Ghar Basti 

सुन्न घर शहर,शहर घर बस्ती

Mhari Lagi Ram se Preet | म्हारी लगी राम से प्रीत


 म्हारी लगी राम से प्रीत
राणा जी करमा रो संगाती कोई भी नहीं


एक माता का दोय लाडला जी
ज्याका न्यारा न्यारा भाग
एक क सिर पर क्षत्र फिर
दूजो भिक्षा मांग र खाय (
करमा रो संगाती कोई भी नहीं)


एक गऊ का दोय बाछड़ा
ज्यारा न्यारा न्यारा भाग
एक तो शिव जी को नांदियो बणे
दूजो बिणजारा को बैल (करमा रो संगाती कोई भी नहीं)
एक माटी का दोय घडकला
ज्यारा न्यारा न्यारा भाग
एक तो शिव जी के जल धारा चढ़े
दूजो श्मशाणा म जाय (करमा रो संगाती कोई भी नहीं)
मीरां तो जलमी मेड़त रे
यो तो राणों गढ़ चितोड़
मीरां तो जलमी मेड़ते रे
बाने बेकुंठा का बास
(करमा रो संगाती कोई भी नहीं)

जय श्री नाथ जी की
Song:

Mhari Lagi Ram se Preet | म्हारी लगी राम से प्रीत

Dag Pare Kar Bhai Mere Dil Ka Bharm | दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई


दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई 
दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई


पहली देव गणेश मनावा हिरदे म शारदा माई
निवण करा म्हारे गुरु पीरां न भुल्या न राह बताई


तीन गुणा की नाव बना कर बंदा समदर बिच तिराई
पांच केवटिया बसे काया म सतगुरु पार लगाई
  उठ सवारी बंदा झूठ मत बोले मत कर निंद्रा पराई
क्रूर कपटी संग पल्लो मत छुवे नुगरा स किस्योड़ी भलाई
  तन का कपड़ा मल मल धोले सुरतां की साबण लगाई
ज्ञान शिला पर मार फटकारो जद पकडे नरमाई आई
जवानी बंदा डगमग डौले आख्या अँधेरी तेर छाई
कहत कबीर सुणो भाई साधो गुरु मिल्या गम पाई भाई जी
 जय श्री नाथ जी की
Song:

Dag Pare Kar Bhai Mere Dil Ka Bharm दाग परे कर भाई मेरे दिल का भरम परे कर भाई